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मुद्रा विज्ञान चिकित्सा

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आज मैं आपको मुद्राओं के बारे में बताऊंगा जिसे हमारे ऋषि मुनियों ने खोजा| हमारा शरीर पंच तत्वों से निर्मित है, और उनके बैलेंस से हम स्वस्थ हो सकते हैं| और वह पंचों तत्व हमारे हाथों में हैं, देखें हाथ को अंगूठा ऊपर कि और करें और सबसे छोटी ऊँगली नुचे कि और करें सभी उँगलियाँ खुली रहें, अब देखें पृथ्वी के नीचे पानी होता है तो सबसे छोटी ऊँगली पानी यानि जल का प्रतिक है, पानी के ऊपर पृथ्वी तो उससे उपट कि ऊँगली पृथ्वी का प्रतिक है, पृथ्वी के ऊपर खालिस्पेस जिसे हम आकाश कहते हैं, तो उससे ऊपर कि ऊँगली आकाश तत्व की प्रतिक है आकास में वायु घुमती है तो उससे ऊपर की ऊँगली वायु का प्रतिक है, अब जो अंगुठा है वह अग्नि का प्रतिक है क्योंकि अग्नि हमेश ऊपर की और उठती है| बहुत सिंपल सा तरीका है| कहते हैं कि दवाइयां हमारी नसों को प्रेश करती हैं किसी ना किसी तरह से, ऐसे ही नसों का हमारी बॉडी से सम्बन्ध रहता है| कुछ मित्र फेट से सम्बन्धित होंगे, कुछ शुगर से तो कुछ हार्ट पेशेंट होंगे, और भी बहुत सी बीमारियाँ है, अब में मुद्राओं के बारे में बता रहा हूँ एक है पृथ्वी मुद्रा| अग्नि तत्व और पृथ्वी तत्व को जोड़ दें तो पृथ्वी मुद्रा बनती है , अग्नि यानि अंगूठा, पृथ्वी यानि अनामिका ऊँगली दोनों के सिरे को आपस में मिलाएं| यह मुद्रा उनके लिए है जो पतले हैं वे केवल इस मुद्रा को लगा लें| अब इसी मुद्रा को क्या करना है, जो अनामिका ऊँगली है उसको मोड़ कर उसकी जड़ में लगादें और उसके ऊपर अंगूठा रख दें| ये है सूर्य मुद्रा| इसके लगाने से फेट कम होता है| आधा पाना घंटा रोज 2 बार लगाएंगे तो 3 महीने में रिजल्ट अपने आप दिखेगा| अब है वायु मुद्रा इससे पैरालाईसीसव हार्ट कि बीमारी में लगायें| वायु मुद्रा लगाने के लिए तर्जनी ऊँगली के ऊपर से अंगूठे को ले जाएँ और मध्यमा और अनामिका दोनों ऊँगली के सिरे से जोड़ें| हार्ट से सम्बंधित व एनर्जी से सम्बंधित मुद्रा है इसे हृदय मुद्र व संजीवनी मुद्रा भी कहते हैं| प्राण मुद्रा : कनिष्ठा यानि जल, अनामिका यानि पृथ्वी दोनो ऊँगली को अंगूठे के सिरे से मिलाएं और परेश करें इसे प्राण मुद्रा कहते हैं| जब हमारी ह्यूमिनिटी कम हो जाती है तब हमें स्वाइन फ्लू, डेंगू आदि बीमारी घेर लेती है, और जिनके अन्दर प्राणशक्ति की पॉवर अधिक होती है उन्हें इस्कासर नहीं होता| ये मुद्रा लगाने से प्राण शक्ति बढती है| सबसे महत्वपूर्ण मुद्रा ज्ञान मुद्रा जो संत महात्मा ध्यानी जो मुद्रा लगाते हैं| तर्जनी ऊँगली के सिरे को अंगूठे के सिरे मिलादे और हलकासा प्रेश करें यह ज्ञान मुद्रा कहलाती है| अचनक यदि सर दर्द हो जाये, तो एक ग्लास पानी पियें और इस मुद्रा को लगा लें| तुरंत आराम मिलजायेगा| ऑफिस हो या घर कही भी बस थोड़ी देर इस मुद्रा को लगा लें एकदम फ्रेश हो जायेंगे|



||ओम आनंदम||